One Hindi poem on bharat ki prakruti at least 4 lines

Sagot :

सीहर्ष-सीरा-सीतल मन मोहक प्रकृति....। पेँड-पेड-पेड़ा फिरन दोहक प्रकृति....॥ खिलते-हिलते हरे-हरे पत्तीयोँ के भरे...., डाल-डाल पे पँच्छियोँ के भडे-डेरे-भरे....॥ छाँव-छाँव कर घूप-रुप तेज लकावे...., फल-फुल मीठे मेवे-पाण सेज पकावे....॥ -